महावीर जंयती 2021: जानिऍ ,भगवान महावीर की प्रमुख शिक्षाएँ जो आपका जीवन बदल सकती है ;
जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिन को महावीर -जयंती के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है।
जैन ग्रंथो के अनुसार समय समय पर धर्म तीर्थ के प्रवतर्न के लिए तीर्थकरो का जन्म होता है, जो सभी जीवो को आत्मिक सुख प्राप्ति का उपाय बताते है। तीर्थकरो को संख्या 24 ही कही गयी है। भगवान महावीर जैन पंथ के 24 वे तीर्थकर है। हिंसा , पशुबलि , जात-पात जा भेद -भाव जिस युग में बढ़ गया ,. उसी युग में भगवान महावीर का जन्म हुआ। उन्होंने दुनिया को सत्य , अंहिसा का पाठ पढ़ाया। तीर्थकर महावीर स्वामी ने अहिंसा का पाठ पढ़ाया। तीर्थकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया। उन्होंने दुनिया को जैन धर्मं के पंचशील सिध्दांत बताए , जो है -अहिंसा ,सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य और ब्रहचर्य। उन्होंने अनेकान्तवाद , स्यादवाद , और अपरिग्रह जैसे अद्भुत सिध्दांत दिए महावीर स्वामी के सर्वोदयी तीर्थो में क्षेत्र ,कल, समय या जाति की सीमाए नहीं थी। भगवान महावीर का आत्मा धर्म जगत की प्रत्येक आत्मा के लिए सामान था। दुनिया की सभी आत्मा एक -सी है इसलिए हम दुसरो के प्रति वही विचार एव व्यवहार रखे जो हमें स्वंय को प्रसंद हो। यही महावीर का 'जियो और जीने दो का सिध्दांत दिया है।
भगवान महावीर ने अहिंसा की शिक्षा से ही समस्त देश में दया को ही धर्म प्रधान अंग माना जाता है। पंचशील सिध्दांत के प्रर्वतक एंव जैन धर्म के 24 तीर्थकर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतिक थे। उन्होंने दुनियाँ को सत्य , अहिंसा तथा त्याग जैसे उपदेशो के माध्यम से सही राह दिखाने की सफल कोशिश की है। भगवान महावीर के ज्ञान का सबसे मुख्य हिस्सा अहिंसा है। अपनी शिक्षाओं द्वारा उन्होंने लोगो को यह बताया की हिंसा केवल शरीर से ही होती है, ऐसा नहीं है। शरीर से हिंसा यानि किसी को कटु शब्द द्वारा की गई हिंसा या फिर मरने या बदले की भावना जैसे कई हिंसा मानव के शरीर से उत्पन होती है। मानव के पांचो इन्द्रियों द्वारा होती है। धार्मिक , राजनैतिक और सामाजिक तीनो तरह को हिंसाए भी हो सकती है।
विश्व का हर इंसान चाहता है को उसके परिवार के सदस्य भी प्रेम और अहिंसा के साथ जिए। अगर वाकई लोग प्रेम और अहिंसा को जीने का तरीका बना ले तो इसका असर न सिर्फ उनके घर के वातावरण पर बल्कि पुरे समाज पर भी होगा। जो की हिंसा को बढ़ावा दे ते है भावनाओ का महत्व बताते हुए भगवान महावीर ने कहा "खून से खून को साफ नहीं किया जा सकता। "कई सालो से लोगो से खून से खून साफ करने की मूर्खता होते आई है कही मंदिर तो कही मस्जित पर हमला किया जाता है। मगर यह सही तरीका नहीं है। इस तरह से लोग एक -दूसरे के ही दुश्मन बन जाते है। यह हिंसा हिअ और इस हिंसा की भावना को तेजप्रेम ही मिटा सकता है। अहिंसा को गहराई और तेजप्रेम की गहराई एक ही है।
यदि इंसान यहाँ ध्यान रखेगा की 'मुझसे किसी तरह को हिंसा न हो , एक सूक्ष्म कर्म बंधन की लकीर तक न खींचे तो वह भी बिल्कुल वही पहुंचेगा ,जहा प्रेम से शुरुआत करने वाला इंसान पहुंचेगा।
भगवान महावीर ने अपनी दिव्य वाणी से हमें जो शिक्षाएँ दी है , यदि हम उन शिक्षाओं को गहराई समझ पाएँगे और उन्हें अपने जीवन में इस्तेमाल कर पाएगे , तो ही हम भगवान महावीर के भवसागर को पार कर ले पाएगे।
भगवान महावीर की प्रमुख विशेषताँए :
वे थे , अहिंसा , सत्य, अस्तेय और अपरिग्रह। महावीर जैन ने एक और सिध्दांत जोड़ा , जिसका नाम है ब्रम्हचर्य या ब्रह्राचर्य। उनके अनुसार, ये पांच गुण जीवन को पूर्णता की और ले जाने और अस्तित्व की धारा को पार करने के लिए आवश्यक थे।
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